इस पोस्ट में हम बच्चों के लिए हिंदी कविताएँ शेयर कर रहे है। यह Hindi Poems (हिंदी कविताएँ) हमलोगों के बच्चपन की याद दिला देती हैं | इस आर्टिकल में बच्चों के लिए सबसे लोकप्रिय 10 हिन्दी कविता को यहाँ पर दिया गया हैं | यहाँ पर जो Hindi Poems (हिंदी कविताएँ) प्रस्तुत की गई हैं जो पूरी तरह से बच्चों के मनोविज्ञान के अनुरूप हैं. जो लोकप्रिय कवियों दुवारा लिखी गई हैं. यह कविताएँ बच्चों के लिए सरल और रूचिकर हैं | Read and Share Hindi Poems For Kids, Hindi Poems for students of class 1 to 6.
Hindi Poems For Kids

अगर पेड़ भी चलते होते
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते ।
बाँध तने में उसके रस्सी
चाहे जहां कहीं ले जाते ।
जहां कहीं भी धूप सताती
उसके नीचे झट सुस्ताते,
जहाँ कहीं वर्षा हो जाती
उसके नीचे हम छिप जाते ।
लगती जब भी भूख अचानक
तोड़ मधुर फल उसके खाते,
आती कीचड़, बाढ़ कहीं तो
झट उसके ऊपर चढ़ जाते ।
अगर पेड़ भी चलते होते
कितने मजे हमारे होते ।
पेड़ हमारे साथी हैं
पेड़ हमारे साथी हैं,
छाया हमको देते हैं।
बाढ़ से हमें बचाते हैं,
मीठे फल भी देते हैं।
पेड़ कितने जरूरी हैं,
फिर भी बेचारे कटते हैं।
हम भी पेड़ लगाएँगे,
संसार को हरा भरा बनाएँगे।
सुंदर चिड़िया
चीं चीं चीं चीं करती चिड़िया,
फुरफुर फुरफुर उड़ती चिड़िया ।
गाना कितना गाती बढ़िया,
नन्हीं-नन्हीं प्यारी चिड़िया
तुम भी जब अपना मुँह खोलो।
चिड़िया जैसा मीठा बोलो।
आलू बोला
आलू बोला मुझको खा लो,
मैं तुमको मोटा कर दूँगा।
पालक बोली मुझको खा लो,
मैं तुमको ताकत दे दूँगी ।
साथ में मूली- गाजर बोले,
अगर हमें भी खाओगे,
तो खूब बड़े हो जाओगे ।।
बंदरिया
ठुमक ठुमक कर चली बंदरिया,
सिर पर ओढ़े लाल चुनरिया |
चली पहन कर पीली चोली,
पीछे भागी नटखट टोली।
उसे देखकर वह घबरायी,
दौड़ी ऐसी नजर न आयी ।।
आलू-कचालू
आलू कचालू बेटा कहाँ गए थे ?
बंदर की झोंपड़ी में सो रहे थे।
बंदर ने लात मारी रो रहे थे।
मम्मी ने प्यार किया हँस रहे थे।
पापा ने पैसे दिए, नाच रहे थे।
भैया ने लड्डू दिए, खा रहे थे।
मजेदार टमाटर
आह ! टमाटर बड़े मजेदार,
एक दिन इसको चूहे ने खाया,
बिल्ली को भी मार भगाया।
आह! टमाटर बड़े मजेदार,
एक दिन इसको चींटी ने खाया,
हाथी को भी मार भगाया।
आह ! टमाटर बड़े मजेदार,
एक दिन इसको पतलू ने खाया,
मोटू को भी मार भगाया।
पुस्तक
मेरी पुस्तक रंग-बिरंगी,
कहे कहानी यह सतरंगी ।
कहती बातें नई पुरानी,
जैसे बोलें दादी-नानी ।
परीलोक की सैर कराती,
कभी-कभी वो हमें डराती ।
कभी हँसाती कभी रुलाती,
दुनिया की हर बात बताती ।
दुनिया
चल आज दिखा दें तुमको मुनिया,
गोल-गोल अपनी यह दुनिया ।
इधर-उधर बहते हैं सागर,
कहीं बिछी है हरी-सी चादर ।
ऊँचे पर्वत गगन को चूमें,
रेगिस्तान हैं रहते सूने।
पहने अलग-अलग से वेश,
हम सब रहते देश-विदेश।
गिलहरी
चूहे जैसा रूप है पाया,
कोमल-कोमल जिसकी काया ।
लंबी पूँछ में रहते बाल,
देखो-देखो इसकी चाल ।
भागे सरपट भरी दुपहरी,
पीठ पर धारी भूरी-भूरी ।
फल और बीज हैं इसका खाना,
कभी न बच्चो इसे सताना ।